लोमड़ी की इस प्रकार की बात सुनकर शेर को लगा कि अगर गुफा नहीं बोली तो लोमड़ी वापस चली जाएगी इसलिए शेर आवाज बदलकर बोला- ”  अरे मेरी प्यारी सहेली!  मैं कब से तुम्हारा ही इंतजार कर रही हूं । तुम अन्दर  क्यों नहीं आ रही हो। ”

आवाज सुनते ही लोमड़ी समझ गई कि गुफा  के अंदर अवश्य ही कोई शेर है और बिना एक पल की देरी  किए लोमड़ी वहां से भाग गई। इस प्रकार चालाक लोमड़ी ने होशियारी से अपनी जान बचा ली और शेर को भूखा ही रहना पड़ा।

शिक्षा – चालाक लोमड़ी और शेर की कहानी से हमें शिक्षा मिलती है कि अपनी होशियारी से आने वाली बड़ी से बड़ी मुसीबत को भी टाला जा सकता है।