बोलने वाली गुफा और चालक लोमड़ी
हिंदी कहानियां (1)
एक समय की बात है एक जंगल में खतरनाक शेर रहता था। एक बार जंगल में शेर ने शिकार करने का बहुत प्रयास किया किंतु उसे सफलता नहीं मिली। शिकार की तलाश में शेर को शाम हो गई ठंडी का मौसम था।
शेर ने सोचा कहीं किसी पास की गुफा में आराम किया जाए। तभी शेर को सामने एक गुफा दिखलाई दी शेर गुफा के अंदर चला गया । शेर ने सोचा – ” अवश्य ही है यह गुफा किसी जानवर की होगी और वह शाम को इसमें वापस आएगा तो मैं उसी का शिकार कर अपना पेट भर लूंगा।”
वह गुफा एक लोमड़ी की थी । शाम होते ही लोमड़ी अपनी गुफा में वापस लौटी , तभी उसे गुफा के सामने शेर के पंजों के निशान दिखलाई दिए । शान केवल गुफा के अंदर जाने के थे बाहर आने के कोई निशान नहीं थे। लोमड़ी बहुत चालाक थी चालाक लोमड़ी को लगा कि अवश्य ही मेरी गुफा में कोई शेर चला गया है अगर मैं गुफा में जाऊंगी तो वह मुझे खा जाएगा।
तभी चालाक लोमड़ी के दिमाग में एक युक्ति सूझी । वह गुफा से दूर खड़ी होकर जोर-जोर से बोलने लगी – ” ओ मेरी प्यारी गुफा ! तू मुझसे रोज बात करती है किंतु आज तू मुझसे बात क्यों नहीं कर रही है।”
गुफा के अंदर बैठे शेर को लगा कि हो सकता है यह गुफा लोमड़ी से बात करती हो किंतु मेरे डर के कारण आज यह बात नहीं कर रही है। तभी दोबारा लोमड़ी बोली – ” मेरी गुफा तू मुझसे बात क्यों नहीं कर रही है । अगर तू मुझसे बात नहीं करेगी तो मैं वापस चली जाऊंगी। ”
लोमड़ी की इस प्रकार की बात सुनकर शेर को लगा कि अगर गुफा नहीं बोली तो लोमड़ी वापस चली जाएगी इसलिए शेर आवाज बदलकर बोला- ” अरे मेरी प्यारी सहेली! मैं कब से तुम्हारा ही इंतजार कर रही हूं । तुम अन्दर क्यों नहीं आ रही हो। ”
आवाज सुनते ही लोमड़ी समझ गई कि गुफा के अंदर अवश्य ही कोई शेर है और बिना एक पल की देरी किए लोमड़ी वहां से भाग गई। इस प्रकार चालाक लोमड़ी ने होशियारी से अपनी जान बचा ली और शेर को भूखा ही रहना पड़ा।
शिक्षा – चालाक लोमड़ी और शेर की कहानी से हमें शिक्षा मिलती है कि अपनी होशियारी से आने वाली बड़ी से बड़ी मुसीबत को भी टाला जा सकता है।
चालक लोमड़ी – हिंदी कहानियां (2)
एक जंगल में कुत्ता, लोमड़ी और शेर के बीच अच्छी दोस्ती हो गई। तीनों मिलकर तय किया कि शिकार करने के बाद उसपर तीनों का बराबर हक होगा। ये फैसला लेने के बाद तीनों दोस्त शिकार के लिए जानवर की तलाश में जंगल की ओर निकल पड़े।
कुछ ही दूरी पर उन तीनों को जंगल में एक हिरण दिखा। एकदम तीनों ने हिरण पर झपट्टा मारने की कोशिश की। उसे देखते ही वो तेजी से दौड़ने लगा। दौड़ते-दौड़ते थककर हिरण कुछ देर के लिए रुक गया। तभी मौका देखकर शेर ने हिरण का शिकार कर दिया।
कुत्ता, लोमड़ी और शेर तीनों काफी खुश हो गए। जैसा पहले तय हुआ था उसी हिसाब से कुत्ता ने शिकार को तीन बराबर हिस्सों में बांट दिया। ये देखकर शेर को बिल्कुल अच्छा नहीं लगा। वो गुस्से में जोर-जोर से दहाड़े मारने लगा। दहाड़ते-दहाड़ते शेर ने कुत्ता पर हमला करके ! उसे अपने दांतों और पंजों की मदद से दो हिस्से में बांट दिया।
लोमड़ी ये सब होते हुए देख रही थी। तभी शेर ने एकदम से लोमड़ी को कहा, “चलो दोस्त अब तुम इस शिकार का अपना हिस्सा ले लो। लोमड़ी चालाक और समझदार दोनों ही थी। उसने बड़ी ही अकलमंदी के साथ हिरण के शिकार का तीन चौथाई हिस्सा शेर को दे दिया और खुद के लिए एक चौथाई हिस्सा ही बचाया।इस तरह हुए शिकार के हिस्से से शेर काफी खुश हो गया। उसने हंसते हुए लोमड़ी से कहा, ‘अरे वाह! तुमने एकदम मेरे मन का काम किया है। तुम्हारा दिमाग काफी तेज है।’ इतना कहते ही शेर ने लोमड़ी से पूछा, ‘तुम इतनी समझदार कैसे हो? तुम्हें कैसे पता चला कि मैं क्या चाहता हूं? तुमने इतनाअच्छे से शिकार का हिस्सा लगाना कहा से सीखा है?’
शेर के सवालों का जवाब देते हुए लोमड़ी बोली, ‘आप जंगल के राजा हैं और आपको कैसे हिस्सा लगाना है, ये समझना मुश्किल नहीं है। साथ ही मैंने उस कुत्ता की हालत भी देख ली थी। उसके साथ जो कुछ भी हुआ उससे सीख लेते हुए मैंने ऐसी समझदारी दिखाई है।’
जवाब सुनकर शेर काफी खुश हुआ। उसने कहा कि तुम सच में बुद्धिमान हो।
कहानी से सीख: हम सभी को अपनी ही नहीं, बल्कि दूसरों की गलतियों से भी नई बातों को सीखना चाहिए। इससे हम वही गलती करने से और उसके नकारात्मक परिणामों से बच सकते हैं।